सीएनजी वाहन तो चलाएं मगर गैस मुश्किल से मिलेगी

 बरेली: सेंट्रल यूपी गैस लिमिटेड यानी सीयूजीएल के लिए कमिश्नर के आदेश भी कोई खास अहमियत नहीं रखते। संभागीय प्राधिकरण की बैठक में अध्यक्ष और मंडलायुक्त ने शहर की चारों दिशाओं में मार्च महीने के अंत 1 स कम चार साएनजा स्टशन शुरू करन क सख्त १ ० पात का दा महीने से ज्यादा समय बीत गया मार मल महाना आ गया, ॥कन सायुजाएल आधकारया न शहर म एक भा नही किया। रह साएनजा " का हवाला दत हुए शहर के चारों कोनों पर चार सीएनजी पंप होना जरूरी बताया था। जबकि मौजूदा समय में महज प्रय पहज एक सीएनजी पंप सैटेलाइट चौराहा पर हैइसके अलावा बदायूं रोड, रामपुर रोड और शाहजहांपुर रोड पर सीएनजी पंप खुलने हैं। पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुएस्कली बसों और ऑटो टेंपो का सीएनजी होना जरूरी कर दिया गया है। शहर में इस समय कंप्रेस्ट नेचुरल गैस से चलने वाले करीब 10 हजार वाहन हैं। इनमें से तीन हजार निजी और सात हजार कमर्शियल वाहन शामिल हैं। छह महीने पहले तक कल सीएनजी वाहन आठ हजार के करीब थे। शहर में सीएनजी गैस की खपत करीब 30 हजार किलो प्रति माह है। इसमें से करीब 25 हजार किलो सीएनजी हर महीने सैटेलाइट स्थित सीयजीएल पंप से बिकती हैसीएनजी वाहन तेजी से बढ़ है। पानी वाटत नी न रहे हैं। इस वजह से खपत में भी इजाफा हो रहा है ।सैटेलाइट के अलावा दूसरा सीएनजी पंप किला पर है। जो लगभग सूना ही रहता है। यहां प्रेशर कम रहता है। इसके चलते प्रति महीने औसतन बिक्री 5 हजार किलो के करीब बताई जाती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि शहर के बाहर स्थित सीएनजी पंप पर प्रेशर ज्यादा रहता है। जबकि किला स्थित पप शहर के अंदर है परिवहन विभाग से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि जिले में सीएनजी पंप कम होने के चलते अनिवार्य किए गए सीएनजी वाहनों को डीजल में बदलन का अनुमात मागा गइ था, लेकिन बाइलॉज के हिसाब से यह संभव नहीं हुआ। सीएनजी पंप पर लंबी लाइनों से स्कूलों को बसें ऑपरेट करने में काफी परेशानी होरही है। स्कूल बस एसोसिएशन इस बाबत विरोध भी दर्ज करा चुकी है।